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बेटी के नन्हे नन्हे कदम

Hum bhi dekhe kadmo se kadam .
Kase milate hai....

Written by Harshita ✍️✍️
आइना सिखाता है खुद को निहारना।
मुकद्दर का सिकंदर खुद की पहचान से ।
बना देते है।पल भर की कमाई ख़ास तौर तरीकों में खुद पर विश्वास करना सिखा देती है।
मेरी बचत भी कल की कमाई बन सकती है।
मेरी बेटी के नन्हे नन्हे कदम।
मेरे माथे पर चमकते सितारे है।
मेरी बेटी के कदमों की आहट।
मेरी दिल को दस्तक देती है।
ज़िन्दगी रूठ भी जाएं तो।
मना लगे हम।।अपनी खुद की खाबिलियत।
से खुद की बेटी को पहचान देंगे हम।
खुद पर कर यकीं इतना।
साथ साथ चलते ।।
चलना सीखा देगे हम।
मेरी चेहरे का नूर।
अपनी बेटी के चेहरे पर दमका देंगे।
उसके सर के ताज को राज करवा देगें हम।
मेरी पहचान से वो जाने।
उसकी पहचान से मै जानू।
बस इतना सा ही जानते है हम।
किसी से डर कर नहीं।
किसी का हक छीनकर नहीं।
हम खुद की ज़िन्दगी के दावेदार बन कर।
कर गुजरने के जिंगरे रखते है।
आज खुद पर यकीन करते है।
यह कोई वहम नहीं।दिल के अरमानों
की चादर ओढ़े। दिलो में दिमाग़ नहीं।
प्यार भरसते है हम तो।कशिश से दूसरो के दिलो में घर कर जाते हसी हम तो।
प्यार से दिल जितना यही सिखाते है हम तो।
बेटी को भी खुद पर यकीन करना सीखते है हम तो।
सीखते है हम तो।

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