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Written by Harshita ✍️✍️
#Jazzbaat
औरत मुहताज़ नहीं किसी गुलाब की
वो ख़ुद बागबान बनाने की ताक़त से नायाब मिसाल है
मर्दं जिसे मर्दांनगी कहते है वो उसकी ताकत का परिणाम है।
परित्याग ना करना बेशक कुसूर एहसासों का है ख़ुद के ज़मीर को ज़ार ज़ार ना करना।
मस्तिक्ष की तीव्र इच्छा को भी बेचैन मत करना
अगर ख़ुद के लिए ही जीना हो तो माफ़ ख़ुद को करना।
किसी औरत को मनोरंजन का हवस का शिकार करके आम लोगों में बेबाक ज़िन्दगी जीने के लिए मत खिचलना।
ख़ुद की नज़रों में गिरी नीची सोच गन्दी निग़ाहों से पहले अपनी मां बहन बेटी को देखना।
कहते है हर कामयाब आदमी के पीछे एक औरत का हाथ होता है,
परवरिश भी तुम्हारी मां के हाथों में तुम्हारी का ली करतूतों का पूरा हिसाब होता है।
वो मा मा नहीं को अपनी परवरिश को घिनौना काम करने पर भी सवाल खिलवाड़ लांछन लड़कियों को ही दे देती है।
भूल गई वो ख़ुद भी एक औरत है जो मर्द (लड़के) को जन्म देकर ख़ुद को बेमिसाल समझती है।
कहते है लड़कियों को सुशील सर्व गुण संपन बनायो।
आज के युग में में औरत होने के नाते ये कहना चाहती हूं
अपने बेटों को कुछ अच्छे संस्कारों से नवाजों ,नवाबों की तरह नहीं एक देश के वीर सपूतों की तरह परवरिश का प्रमाण दो।
औरतों को सिर्फ़ खिलौना नहीं इज्ज़त के नज़रों से देखना सिखायों।
अगर लड़के वालों को इतना ही घमंड में जीने का प्रमाण पत्र मिला है
तो क्या लड़की वालों को सीना चोड़ा कर गुरूर से कहने का अर्थ मिला है।
नहीं तो वो दिन दूर नहीं की कोई औरत मर्दं जात पर याकि ही नहीं कर पाएंगी।
फिर अपने वश को लड़के वाले कहा से आगे बढ़ायेगे।
जल्द अब वो वक्त आयेगे लड़के वाले नहीं लड़की वाले लड़कों को देखने जाएंगे।
अब लडके नहीं लड़कियां लड़कों को रिजेक्ट करके आएंगी।
अभी भी वक़्त है आंखे खोलो जनाब जवाब हम नहीं तुम्हारे ज़मीर से पूछो जनाब।
सवालों जवाबों में टूटे सपनों में आवाज़ नहीं होती उन लड़कियों की आह में आवाज़ नहीं होती।
पर खुदा की लाठी में आवाज़ नहीं होती।
ख़ुदा के न्याय से आवाम भी ख़त्म हो जाती है।
मत ल्लकरो उन बेकसूर आहो को लग गई तो
प्रले आजाएगा।
जगा को ख़ुद के ज़मीर को ,रोक का ये कुकर्मों को
जवाब ख़ुदा को तुमको ही देना होगा।

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