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मेरी ज़िन्दगी की पतवार तुम सम्भाल रहे हो? Every Woman Deserve Respect



Every woman deserve respect
Touched to their hearts my words
Describe the fact of women life
Every woman deserve respect

 
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat
मेरी ज़िन्दगी की पतवार तुम सम्भाल रहे हो?
देखो अगर तुम मुहब्बत करते जो तो मुझे छोड़ कर औरों को जता रहे हो?
देखो तुम माना नहीं भी करते इसका ये मतलब नहीं कि तुम मान रहे हो?
साड़ी के बदले सूट या jeans ki permission बड़े बन जाते हो
बड़े दिल वाले बन कर कहते हो घुंघट नहीं करोगी तो चलेगा सिंदूर लगा लेना हाथ में दो चूड़ियां पहन लेना तुम्हारा क्या भिगड़ जाएगां



बड़ों की पुरानी आदत है चार बात सुन भी लोगी तो पहाड़ टूट जाएगा
और तुम्हारा प्यार प्यार नहीं लगता, बस उस प्यार में मुझे मेरा दयारा समझाया जाता है
चलो माना तुम मुझे नौकरी करने देते जो, बाहर जाने देते हो, कभी कभी मेरा नाम भी तो तुम्हारे नाम के साथ जुड़ कर भी मेरा नाम बनाने की permission देते हो
कभी लंभी walk पर जाए तो हाथ पकड़ने की permission भी दे देते हो।



कभी कभी देर से भी उठ जाने की permission भी दे देते हो
खाना सबके साथ खाएं तो भी बोलने की permission देते हो
बस ये देते ही रहते हो बस देते ही रहते हो ,

सवाल अब ज़िन्दगी भर का था और 
मा बाबा की आरज़ू का भी था तो 
मैं adjust हो जाती हूं और होती चली जाती हूं।

 
 
बस वहीं adjustment और compromises की बुनियाद का रिश्ता चलता चला जाता हैक्युकिं अब तुमसे कोई थोड़ी पूछेगा तुम देने वाले आखिर होते कौन हो?कौन हो तुम आख़िर कौन हो तुम जिससे की मन की बात या कुछ भी करने की permission by default ही लेनी चाहिए?

वाह देखा जाए तो ये ख़ुद को ही अधिकार दे बैठा है के husband की stamp से एक अधिकारी समझ बैठा है के जो भी मै देता हूं बस वहीं हक तुम्हरा है?
फिर एक ज़हन से बाहर निकालता सवाल उठाया कि उन ज़िन्दगी के पन्नों को अब तुम है फाड़ डालोगे क्या ,
जो मैं थी ,जो मै हूं या जो मै करना चाहती हूं वो चीथड़े कर तुम है उड़ा योगे क्या?
और तुम्हारा होकर ये wife stamp मुझे पर ख़ुद को बस खुदगर्ज़ी की वसीयत बन जायूगी,
और जब पलट कर में ख़ुद को देखूंगी,
तो मैं वो नहीं हूंगी जो मैं बनना चाहती थी ,
मैं वो होंगी जो शायद खैरात में तुम हक के नाम 




   

पर तुम मुझे देते रहे, और ख़ुद में best husband बनते रहे
मैं वो थी जिसको saaree नहीं skirt पसंद है जिसको चूड़ी को जंजीर मानती है
सिंदूर नहीं बिंदिया नहीं गाले के हार हो फंसी का फंदा मानती है
बेकार के रीति रिवाजों से नफ़रत है फिर भी सम्मान इज्ज़त करना जानती है
अब तुम उसको अपनी हिसाब से clauses बतायोगे
दे सकने नहीं दे सकने की list अधिकारियों को रोज़ दोहरायोगें?

 

और ख़ुद बन जायोगें बड़े दिल वाले , क्युकिं तुमने मुझे वो दिया जो बड़े नसीबवालो को मिलता है
तुम वो को हफ्ते में एक बार नाश्ता करके जताते जो मेरे घर वालो को best husband का एहसास करवाते हो
किसी दिन dusting में हाथ बटां देते हो तो उम्मीद यहीं रखते हो की best husband ki trophy मिल ही जानी चाहिए।
और किसी दिन कुछ तू- तू मैं -मैं हो भी जाए तो अपने घर में नहीं ,मेरी ही घर phone करके मुझे मेरी इज्जत को कटघरे में तागवा देते हो और best husband ka fir reward ले जाते हो?


 

लेकिन तुम वो अवतार हो को सौलह सोमवार के बाद भी नहीं पा सकता
फिर भी ख़ुद को खुशनसीब समझ लेती हूं के तुम मुझे मिल गए और मैं भी इसी भ्रम में रह जायुगी की मुझे इतना देने वाला मिल गया
ये पहचान ये बात मैं भी भूल जायूगी की ये हक मैने किसी को दिया ही नहीं था
मेरी ज़ंजीर की ताकत तय करने तुम नहीं मै ख़ुद थी
कभी रिवाज़ कभी इज्ज़त में जकड़ी मैं ख़ुद थी

मेरे चारों और कभी वो लक्ष्मन रेखा थी है नहीं को तुम अब बनाते चले हो
मेरी जिस्मं मेरे पंख मेरी उड़न तुम्हारे control क्या तुम्हारी सोच में कभी नहीं आता
वैसे ही जैसे तुम्हारा होना तुम्हारा साथ होना भी अब ज़रूरी नज़र नहीं आता
जो साथ conditions APPLY के साथ आता है तो
साथ नहीं human controller नज़र आता है
वो एहसास करवा जाता है के रिश्ता ये conditions के साथ हिसाब किताब नज़र आता है और हिसाब किताब में बहुत कच्ची हूं दिल से अभी भी बच्ची हूं
तुम मेरा बचपन ख़तम ना करो कार्रवाई नहीं खिल खिलाने का दस्तूर चलने दो
मेरी ज़िन्दगी मेरी उड़ान है मेरी कलम ही 





                                                                                            मेरी पहचान

तुम्हारी होकर अरमानों को शब्दों को धर्म समझती हूं,
ये saaree पहन कर करूं या skirt पहन कर इससे कैसे जुड़ गया तुम्हारा सम्मान
मुझे ऐसी किसी डोर से ना बांधना जिसका controlतुम्हारे हाथ में हो
बल्कि ऐसी डोर से बांधना जिसमें हमारा साथ हो जिसमें equality नज़र आती हो
ये एक तरफा बात नहीं ये two way रास्ता है जिसमें gender discrimination की बातों की कहीं जगह नहीं होंगी।
और मेरी respect के मायने रस्में कसमें शीगारं से ना जोड़ना और मेरी खाना बनाने को skills को संस्कारों से मोलना ये मेरी hobby भी सकती है,
इससे compulsory subject मत बनाना
                                                                

 
बाक़ी मैं सम्भाल लुगी तुम ज्यादा ना घबराना
इज्ज़त की बात इज्ज़त देकर ही पूरा कर देना
नहीं तो ये इलज़ाम भी मत लगाना क्युकी
इज्ज़त मांगी नहीं कमाई जाती है
ख़ुद की इज्ज़त ख़ुद के है हाथों में होती है
बाक़ी तुम बहुत समझदार हो, tension
मत लेना मैं हूं ना equality से सम्भाल
कर ज़िन्दगी चला लूंगी तुम मत घबराना।

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