Skip to main content

सितम गर हम बोलेंगे-Women Power Within पछतावा क्यूं


Written by Harshita ✍️✍️
सितम गर हम बोलेंगे अब तक
दर्दं के ताबूत खिलेंगे जब तक

तुम कौन हो हम कौन है अब तक
ये ना टटोलेंगे जब तक

इश्क़ मूषक बे लिहाज़ है अब तक
ये बातें ना बोलेगे जब तक

ख़ामोशी में एक शोर मचाया
सुनेगे नहीं और तब तक
दिल को ना झंझोड़ेगे जब तक

वीरान राहों पर चलते जब तक
औरों से क्या पुछेंगे कब तक

ख़ुद को ख़ुद से मिलना है अब
अकेले ज़िन्दगी जीनी जब तक

आवाज़ नहीं सुनती मै अब तो
तेरी यादों से दूर अब तक


हासिलं वहीं हुआ था जो अब तक
लिखा गया था किस्मत में अब तक

नींद भी अच्छी है अब तक
तूं नहीं आंखो में तब तक


नफरतों के रिश्तों अब तक
दिल टूटें नहीं थे तब तक

सवाल के गिराह में अब तक
फंसे नहीं हुए थे तब तक

मांझी भी मैं ख़ुद हूं अब तक
साहिल मेरी तलाश में जब तक
बेहरत हूं मै ख़ुद में अब तक
मैं ख़ुद में तू खुद में जब तक

मैं ख़ुद में हूं जिंदा जब तक
बेकाबू रहेगा तू तब तक

ज़ुल्म सितम गया दौर अब तक
मशाल लिए हूं मैं खुद में अब तक

समझ से परे थी मैं तुझसे अब तक
ना समझ तूं बे इज्ज़त जब तक

मुश्किल नहीं था एहसास अब तक
भुलेखे में जीता तूं जब तक

सोच से परे थी मैं अब तक
सोच नहीं सकेगा जब तक



ख़ुद में विशाल काया है अब तक
सोच से परे ही रहुंगी जब तक

मां हूं तो एक हासिल तब तक
ख़ुद में एक खिताब है जब तक




Written by Harshita ✍️✍️
#Jazzbaat
पछतावा क्यूं
दिखावा क्र्यूं
शिकवे क्र्यूं
शिकायते क्यूं
सवाल बेबुनियाद
जवाब क्र्यूं
मिसरे क्र्यूं हिदायते क्र्यूं
दलीलें पेश फर्जी हर एक
बेखौफ‌ं सच्चाई बेबाक अनेक
सूत्रधार मंच किरदार अनेक
बुराई पर अच्छाई की जीत
बेबाक ज़िन्दगी व्यापार अनेक
मंज़िल की ओर अग्रसर होते
ख़ुद से ज्यादा हालात अनेक
यकीं ख़ुद पर नाज़ दिखाता
कहने को तैयार अनेक
बेमिसाल ख़ुद क्या समझूं
मां हूं ये बात बस एक  



https://www.youtube.com/watch?v=BfXsXTy3A-g


Thank you  can follow me on
 Youtube Channel -
 https://www.youtube.com/channel/UCftKBW-T-nVjSQ3ir58uIdg

Facebook link
https://www.facebook.com/harshita.dawar


you can read my all seven  E- books published on Amazon Kindle link-
with all volumes available

जज्बात-ए-हर्षिता: प्रेरक कविताओं का संग्रह (Volume Book 1) (Hindi Edition) https://www.amazon.in/dp/B083DT4NYT/ref=cm_sw_r_wa_apa_i_F.7uEbCSREEBZ
जज़्बात-ए-हर्षिता: प्रेरक कविताओं का संग्रह (Volume Book 2) (Hindi Edition) https://www.amazon.in/dp/B083DYBY7L/ref=cm_sw_r_wa_apa_i_Y.7uEbPSV0ZYJ 

जज़्बात-ए-हर्षिता: प्रेरक कविताओं का संग्रह (Volume Book 3) (Hindi Edition) https://www.amazon.in/dp/B083KQG652/ref=cm_sw_r_wa_apa_i_ua8uEb5WDEV88 

जज़्बात-ए-हर्षिता: प्रेरक  कविताओ का सग्रह (Volume Book 4) (Hindi Edition) https://www.amazon.in/dp/B084CXSQ4Y/ref=cm_sw_r_wa_apa_i_7a8uEbCCS8FBS

हर्षिता का शायराना आगाज़ (Volume Book 1) (Hindi Edition)
 https://www.amazon.in/dp/B083H2V1CF/ref=cm_sw_r_wa_apa_i_ob8uEbQA9EZJY

Comments

  1. Prolifc writer of this era....classical tecture of poetry n dew like freshness plce u among the tremendous author of 21 st century hindi authors...exuberant poetic flow ornaments ur poetry ...💕💕👏👏👍

    ReplyDelete
    Replies
    1. Get Youra comments from fabulous writer comments in my comment box is like a precious ornament I ever have thank you so much admiring 😊🤟

      Delete
  2. Well done....keep growing keep writing 👏👏👏🤟

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

DISABILITIES विकलांग

COME FRONT WITH THIS TOPIC WHICH USUALLY ALL AVOID TO RIGHT  मैं हर्षिता लिखती बेबाक ,जीती बेबाक, ज़िन्दगी बेबाक  डरते वो है जो गलत हो , गलत ना बोलते ना सेहते है हम नेकी की मशाल जो अंदर थी , अब प्रेम भाव से लोगों में जलाते है हम गलत ने गलत जाना सही ने सही जिसने जैसे जाना वैसा ही पहचाना, ना डरते बा दबते है हम निडर होकर जीते , दिलो ना खेला करते है हम हर्षिता की क़लम में एक आग नज़र आती हैं जो जलाती नहीं , दिलो मे एक नई उम्मीद जाता देती हैं  COME ACROSS WITH SOME बेनाम के नय रिश्ते जो  HIPPOCRATES SOCIETY की आंखो दोगुनी खोल देते हैं आज भाई बहन भी साथ जा रहे हो तो एक अजीब सी नज़र से देखते है आज चाहे SINGLE MOTHER हो या कोई पीड़िता या कोई भी ऐसा रिश्ता जो अधूरा हैं गलत नज़रों से देखने वा लो की अगर कोई अनकहे अल्फ़ाज़ से आंखों में अंगार से ,आंखे नोच लेने की हिम्मत रखता या रखती हैं तो नहीं चालू या चालबाज या तेज़ तर्रार , या proud ya egotistic ya batmeez का तमगा मिल जाता हैं क्या सुकून इंसान को ही चाइए क्या ये इंसान नहीं ? क्या कहती क्या नहीं  कश्ती  हमारी है तो पतवा...
        COME FRONT WITH THIS TOPIC WHICH USUALLY ALL AVOID TO RIGHT मैं हर्षिता लिखती बेबाक ,जीती बेबाक, ज़िन्दगी बेबाक डरते वो है जो गलत हो , गलत ना बोलते ना सेहते है हम नेकी की मशाल जो अंदर थी , अब प्रेम भाव से लोगों में जलाते है हम गलत ने गलत जाना सही ने सही जिसने जैसे जाना वैसा ही पहचाना, ना डरते बा दबते है हम निडर होकर जीते , दिलो ना खेला करते है हम हर्षिता की क़लम में एक आग नज़र आती हैं जो जलाती नहीं , दिलो मे एक नई उम्मीद जाता देती हैं COME ACROSS WITH SOME बेनाम के नय रिश्ते जो HIPPOCRATES SOCIETY की आंखो दोगुनी खोल देते हैं आज भाई बहन भी साथ जा रहे हो तो एक अजीब सी नज़र से देखते है आज चाहे SINGLE MOTHER हो या कोई पीड़िता या कोई भी ऐसा रिश्ता जो अधूरा हैं गलत नज़रों से देखने वा लो की अगर कोई अनकहे अल्फ़ाज़ से आंखों में अंगार से ,आंखे नोच लेने की हिम्मत रखता या रखती हैं तो नहीं चालू या चालबाज या तेज़ तर्रार , या proud ya egotistic ya batmeez का तमगा मिल जाता हैं क्या सुकून इंसान को ही चाइए क्या ये इंसान नहीं ? क्या कहती क्या नहीं कश्ती हमारी है तो पतवा...